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Showing posts from November, 2019

देश और संविधान को बचाना है तो इच्छाशक्ति दृढ़ करें राजनेता

असली हिन्दुत्व के सामने नकली हिन्दुत्व धराशायी। भाजपा के चाणक्य की चहुंओर निंदा। संविधान और संवैधानिक पदों का दुरुपयोग करने वालों को सरकारी धन पर ऐश करने का अधिकार नहीं। भय का वातावरण बनाने वाले सरकारी अधिकारियों को दी जाये जबरन सेवा निवृत्ति। कोलेजियम का मोह त्याग कर न्यायपालिका निष्पक्ष होकर करे निर्णय। क्या 26/11 की घटना को भुलाने के लिए प्रारम्भ किया गया संविधान दिवस मनाना? हरिद्वार। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रदेश संयोजक रामनरेश यादव ने कहा है कि देश और संविधान को बचाने के लिए सभी राजनैतिक दलों को आजादी के शहीदों का स्मरण करते हुए इच्छाशक्ति दृढ़ करनी होगी और यदि देश को आजाद कराने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारों के हाथ से देश वापस नहीं लिया तो भारत की जनता को बहुत ही मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर का भावपूर्ण स्मरण करते हुए राजनेता सोचें कि रामायण और महाभारत काल में संविधान न होने के कारण ही गुण्डागर्दी का राज चला और बड़े-बड़े युद्ध हुए क्योंकि उस समय कोई संविधान नहीं था अब उसी मानसिकता के लोग संविधान को समा

कांग्रेस-भाजपा को हराकर रुड़की के प्रथम नागरिक बने गौरव गोयल

हरिद्वार। नगर निगम रुड़की के सम्पन्न हुए चुनाव में जनता ने राज्य की सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस-भाजपा के प्रति अपने गुस्से का इजहार करते हुए निर्दलीय मेयर तथा पार्षदों का चयन कर अपनी मंशा से अवगत करा दिया है। हरिद्वार नगर निगम में भाजपा को पटखनी देने के बाद रुड़की की जनता ने भी नगर विकास मंत्री तथा राज्य सरकार को बता दिया है वह तानाशाही के शासन से तंग आ गयी है और किसी भी राजनैतिक दल की तुलना में वह जनता के बीच का जनप्रतिनिधि चुनने में विश्वास रखती है। रुड़की की जनता ने अपने शहर की सरकार बनाने के लिए भाजपा के प्रति अपने गुस्से का इजहार करते हुए पार्टी से बगावत करने वाले गौरव गोयल को 29080 मत प्रदान कर महापौर की पदवी सौंपी और पिछले दो चुनावों में दूसरे स्थान पर रहने वाली भाजपा को धकिया कर तीसरे स्थान पर पहुंचा दिया। कांग्रेस के रिशु राणा को 25629 तथा भाजपा के मयंक गुप्ता को 19142 मतों पर संतोष करना पड़ा जबकि दस में से शेष सात प्रत्याशी अपनी-अपनी जमानत राशि भी नहीं बचा पाये। 2004 में सपा से सांसद रहे राजेन्द्र बाडी ने बसपा से अपना भाग्य आजमाया और 4575 पर सिमट गए जबकि निर्दलीय सुभाष सैनी ने

विभागीय जांच में क्यों क्लीन चिट पाते हैं सरकारी कर्मचारी?

ब्यूरोक्रेसी में जब से भ्रष्टाचार के द्वार खुले हैं तब से विभागीय जांच बदनाम हो गयी है। चूंकि विभागीय जांच में अपने ही अधीनस्थों की जांच दोषी कर्मचारियों का उच्चाधिकारी करता है। हालांकि कानूनी प्रावधान में ऐसा कहा गया है कि कोई भी उच्चाधिकारी अपने अधीनस्थ की जांच नहीं कर सकता लेकिन राजनेता हों या नौकरशाही सभी ने मिलकर बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा निर्मित संविधान को समाप्त करने का मन बना लिया है यही कारण है कि सम्पूर्ण कार्यपालिका भ्रष्टाचार के दलदल में धंसती जा रही है और विभागीय जांच में उच्चाधिकारी अपने अधीनस्थ को क्लीन चिट देकर भ्रष्टाचारियों का मनोबल बढ़ा रहे हैं। कुछ मामले ऐसे अवश्य होते हैं जिनमें विभागी जांच होती है लेकिन जहां तक भ्रष्टाचार या जनहित से जुड़े मामले होते हैं उनमें विभागीय जांच न होकर अपराध अनुसंधान इकाई द्वारा जांच होनी चाहिए। विभिन्न मामलों में अब तक हुई विभागीय जांचों में स्पष्ट रुप से देखा गया है कि लोक सेवक नियमावली के विपरीत कार्य एवं आचरण करने वाला कर्मचारी विभागीय जांच में क्लीन चिट प्राप्त करने में सफल हो जाता है। विभागीय जांच के आदेश अधिकतर उन्हीं

भाजपा ने सरकार बनाने के लिए दरकिनार किये संवैधानिक नियम

महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर कई दिनांे तक चले राजनैतिक घटनाक्रम के बाद राजभवन का जो संदेश आया उस पर पूरा देश हतप्रभ रह गया। कई दलों के राजनेताओं ने फिर भाजपा पर संवैधानिक पद एवं संस्थाओं के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। राष्ट्रपति और राज्यपाल भारतीय संविधान के प्रथम रक्षक होते हैं अब तो राज्यपालों पर भी सत्ता पक्ष के इशारे पर काम करने के आरोप लगने लगे हैं। हाल ही में कई प्रदेशों में भाजपा की सरकारों के गठन को लेकर राजभवन के निर्णय और सीबीआई, ईडी, आरबीआई, चुनाव आयोग सहित कई संवैधानिक संस्थाओं को विशेष निर्णयों के आधार पर शक के दायरे में लिया जा चुका है। वर्ष 2014 में नयी सरकार के गठन के बाद सरकारी स्तर पर हुए अनेकों निर्णयों तथा देश में घटित हुई घटनाओं पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाये तो अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि भाजपा अब भारत की सत्ता से कभी अलग नहीं होगी बल्कि भाजपा ही भारत और भारत ही भाजपा का नारा दिया जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।  कभी इन्दिरा गांधी द्वारा कांग्रेस को तोड़कर कांग्रेस आई का गठन करना और कोर्ट के निर्णय के बाद आपातकाल की घोषणा कर सभी राजनेताओं को जेलों में ढू

कुम्भ 2021 हरिद्वारः मूलभूत सुविधाओं के लिए काम न होना मेला प्रशासन की असफलता

हरिद्वार। धर्म क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण नगरी हरिद्वार है जो भारी अव्यवस्थाओं के बीच भी धर्मानुयायियों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। हरिद्वार भारत ही नहीं पूरे विश्व की आस्था का ऐसा स्थान है जहां आकर व्यक्ति की तीर्थाटन एवं पर्यटन दोनों आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है इसीलिए कुम्भ एवं अर्द्धकुम्भ मेलों के आयोजन हेतु केन्द्र एवं राज्य सरकार की तरफ से भारी भरकम धनराशि उपलब्ध करायी जाती है। उत्तराखण्ड नया राज्य बनने के बाद यहां की ब्यूरोक्रेसी ने सोची समझी साजिश के तहत ऐसा मकड़जाल बुना कि हरिद्वार को मांस, मदिरा, खनन और अनेकों प्रकार से इस पावन नगरी को भ्रष्टाचार का केन्द्र बना दिया, यहां सरकारी धन बाद में आता है उसे ठिकाने लगाने की योजनायें पहले ही तैयार हो जाती हैं इस कार्य में यहां के जन प्रतिनिधियों की भूमिका भी संदिग्ध रही है। हरिद्वार में कुम्भ तथा अर्द्धकुम्भ के मेले उत्तराखण्ड राज्य निर्माण से पूर्व भी आयोजित होते थे उनके आयोजन मंे भी भ्रष्टाचार होता था लेकिन वह एक निश्चित दर से कमीशन के तौर पर। वह इसीलिए कि सरकारी सेवा में आने के बाद चपरसी से लेकर चीफ सेक्रेटरी तक ऐसा कोई

हरिद्वार कुम्भ क्षेत्र को बनाया जाये केन्द्र शासित राज्य: रामनरेश यादव

हरिद्वार। अन्तर्राष्ट्रीय उपभोक्ता कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष रामनरेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ज्ञापन प्रेषित कर हरिद्वार कुम्भ क्षेत्र को केन्द्र शासित प्रदेश बनाने की मांग की है। ज्ञापन में क्रमबद्ध ढंग से राज्य निर्माण के 19 वर्ष बीतने के बाद भी कुम्भ क्षेत्र में कोई स्थायी विकास न होना तथा मांस-मदिरा से प्रतिबंधित क्षेत्र में अवैध शराब तथा अवैध खनन का करोबार करवा कर माफिया राज्य कायम करने का वास्ता दिया है। प्रधानमंत्री को प्रेषित ज्ञापन में रामनरेश यादव ने कहा है कि यहां कुम्भ एवं अर्द्धकुम्भ के नाम पर आने वाली केन्द्रीय सहायता से कोई स्थायी विकास न होकर सारा धन तत्कालिक व्यवस्थाओं पर व्यय होना दर्शा दिया जाता है इस कार्य में राजनेता, अधिकारी तथा अखाड़े की भूमिका भी संदिग्ध है। उन्हांेने उत्तराखण्ड में मैदानी तथा पर्वतीय मूल के निवासियों की संख्या लगभग बराबर होने के आंकड़े देते हुए बताया है कि यहां तैनात अधिकारी मैदानी मूल की जनता के साथ क्षेत्रवाद के आधार पर भेदभाव करते हैं तथा सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारी चाहे राजस्व प्रशासन के हों या पुलिस प्रशासन के स्थानी

बढ़ते वायु प्रदूषण पर नियंत्रण न करना सरकार की सबसे बड़ी विफलता

हरिद्वार। अन्तर्राष्ट्रीय उपभोक्ता कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष रामनरेश यादव ने कहा है कि बढ़ता वायु प्रदूषण मानवता के लिए महामारी बनकर मंडरा रहा है लेकिन सरकार केन्द्र की हो या राज्य की प्रदूषण पर नियंत्रण करने के नाम पर बेखबर होकर भ्रष्ट एवं नाकारा ब्यूरोक्रेसी के शिकन्जे में फंसकर रह गयी है। सरकारी कर्मचारी ही स्वयं को सरकार समझ कर अपने वेतन भत्ते तथा राजनेताओं के मानदेय वेतन एवं भत्ते बढ़ाने के अलावा जनहित या लोकहित के किसी भी मुद्दे पर काम करने को तैयार नहीं है तथा न्यायपालिका एवं संवैधानिक संस्थाओं ने भी स्वयं संज्ञान लेना अब बंद कर दिया है। भारत की आम जनता अब करों की भरमार से मर रही है और सरकार तथा सरकारी कर्मचारी राजस्व बढ़ाकर अपनी सुख सुविधायें बढ़ाने का काम कर रहे हैं। देश की सरकार हो या सरकारी तंत्र सभी ने अप्रत्यक्ष रुप से संविधान के विपरीत कार्य करना प्रारम्भ कर दिया है जो निकट भविष्य में देश के लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकता है और समय रहते इस पर नियंत्रण करने की आवश्यकता है। प्रेस को जारी एक बयान में उन्हांेने कहा कि देश में प्रदूषण फैलाने का काम उद्योग, वाहन तथा घरों एवं का

धर्म के नाम पर क्यों बढ़ रहा है धंधा और राजनीति?

धर्म तो मन और जीवन में धारण करने की वस्तु है, धर्म से ही व्यक्ति को सन्मार्ग की प्रेरणा मिलती है और धर्म के सापेक्ष होने वाले कर्म से व्यक्ति का जीवन पवित्र हो जाता है। हमारे ऋषि मुनियों ने जिन वस्तुओं, जीवनोपयोगी वनस्पति, पेड़-पौधे अथवा पशु सभी को धर्म से इसीलिए जोड़ा कि व्यक्ति और समाज धर्म से जुड़कर अपने कर्मों को पवित्र रखे इसीलिए कहते हैं कि धर्म ही कर्म और कर्म ही व्यक्ति का धर्म होता है। यह धर्म तब तक ही संपुष्ट रहा जब तक धर्म के नाम पर न धंधा हुआ और न ही राजनीति, आज धर्म पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं और समाज की तीस प्रतिशत आबादी आज धर्म के नाम पर धंधा और राजनीति कर धर्म को समाप्त करने पर तुली हुई है। धर्मस्थलों को दुकानों की तरह संचालित कर उन्हें राजनीति का अड्डा बना दिया है धार्मिक पर्वों को विसंगति प्रधान बनाकर धर्मार्थ संस्थानों के नाम पर धन कमाने एवं एकत्र करने के प्रकल्पों का संचालन प्रारम्भ कर दिया गया है। धार्मिक पर्व सामाजिक समरसता के प्रतीक होते थे लेकिन आज के नेता हों या ब्यूरोक्रेट्स, संत हों या प्रचार माध्यम सभी ने इन धार्मिक पर्वों को आर्थिक दृष्टि से देखना प्रारम्भ

सरकारी योजनाओं में हुए भ्रष्टाचार से रुकी राज्य की प्रगति: गिरिश वर्मा

प्रसपा के प्रदेश संयोजक रामनरेश यादव तथा प्रदेश प्रभारी गिरिश वर्मा के नेतृत्व में चलाया गया सदस्यता अभियान हरिद्वार। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रदेश संयोजक रामनरेश यादव तथा प्रदेश प्रभारी गिरिश वर्मा के नेतृत्व में नजीबाबाद मार्ग स्थित पीली पड़ाव में सदस्यता अभियान चलाया गया जिसमें सैकड़ों ग्रामीणों ने प्रसपा की सदस्यता ग्रहण कर राज्य में अब तक सत्तारुढ़ रहे राजनैतिक दलों के प्रति नाराजगी व्यक्त की। प्रसपा से जुड़े सभी नए सदस्यों ने राज्य निर्माण के बाद सरकारी योजनाओं में हुए भ्रष्टाचार पर नाराजगी व्यक्त करते हुए धर्म के नाम पर राजनीति को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।  प्रसपा के सदस्यता अभियान को और गतिमान बनाने का आवाह्न करते हुए प्रदेश प्रभारी गिरिश वर्मा ने कहा कि उत्तराखण्ड में अनुभवहीन नेताओं के हाथ में सत्ता आने में ब्यूरोक्रेसी बेलगाम हो गयी परिणाम स्वरुप राज्य और केन्द्र सरकार की समस्त योजनाओं में भ्रष्टाचार होने से नया राज्य प्रगति से पायदानों पर आगे नहीं बढ़ पाया। उत्तराखण्ड में अनुभवी एवं कुशल नेतृत्व की कल्पना को साकार करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि इस

राज्य निर्माण का सपना साकार न हो पाने में ब्यूरोक्रेसी की बड़ी नाकामी

उत्तराखण्ड राज्य आज 19 वर्ष का हो गया है, अपनी शैशवावस्था से विषम भौगोलिक परिस्थितियों से संघर्ष करते-करते किशोरावस्था प्राप्त करने से पूर्व ही औद्योगिक क्रांति से जुड़ गया और राज्य की पहली चयनित सरकार ने पं. नारायणदत्त तिवारी के नेतृत्व में राज्य के मैदानी क्षेत्रों मंे लगभग एक हजार औद्योगिक इकाइयों की स्थापना का नया कीर्तिमान स्थापित किया तो राज्य के युवाओं में रोजगार के प्रति आशा की किरण फूटी और सुदूरवर्ती पर्वतीय क्षेत्रों के युवाओं का राज्य के मैदानी क्षेत्रों के प्रति आकर्षण बढ़ा। आज राज्य में न केवल उत्तराखण्ड के बल्कि निकटवर्ती अन्य प्रदेश उत्तर प्रदेश और बिहार के भी हजारों युवा आजीविका चला रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि राज्य निर्माण का सपना साकार नहीं हुआ क्योंकि जो विकास सुदूरवर्ती पर्वतीय क्षेत्रों में होना था वह पहाड़ पर न होकर मैदान में हुआ जिससे पलायन में तेजी आई। इस पलायन के लिए हमारी ब्यूरोक्रेसी स्पष्ट रुप से दोषी है जो नये राज्य के अनुरुप योजनायें नहीं बना पायी। ऐसा भी नहीं कहा जा सकता कि नया राज्य बनने के बाद विकास नहीं हुआ, विकास हुआ और लोगों में सम्पन्नता भी आयी

19 वर्षों में भी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हुआ उत्तराखण्ड

यह कोई कहावत नहीं बल्कि सत्यता है कि 18 वर्ष में बच्चा बालिग हो जाता है और अपने पैरों पर खड़ा होकर धर्नाजन की ओर अग्रसर हो जाता है लेकिन हमारा राज्य उत्तराखण्ड एक सप्ताह बाद 19 वर्ष का हो जायेगा और आज भी अपने पैरों पर खड़ा न होकर दिल्ली की तरफ दयनीय दृष्टि से देखता है। चाहे कोई विकास परक योजना हो या कुम्भ जैसा धार्मिक पर्व जब तक केन्द्रीय सहायता नहीं मिलती तब तक आंखें दिल्ली की तरफ ही लगी रहती हैं। राज्य निर्माण के बाद नियमानुसार विशेष राज्य का दर्जा भी होता है वह भी रहा और अवस्थापना मद में भी अन्य राज्यों की तुलना में विषम भौगोलिक परिस्थितियों के तहत अधिक सहायता मिली। लेकिन...? प्रतिवर्ष राज्य स्थापना दिवस 9 नवम्बर को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता था और आयोजनों पर हमारी ब्यूरोक्रेसी एवं राजनेता जमकर जश्न मनाते आ रहे हैं इस वर्ष हमारी राज्य सरकार ने 19वें स्थापना दिवस को राज्य स्थापना सप्ताह के रुप में मनाने का निर्णय लिया है जिन पर 6 दिन तक लगातार खर्चा ही खर्चा है। हमारे राजनेता एवं ब्यूरोक्रेट्स पता नहीं किस ख्यालगोई में फंस कर रह गये जिन्हें राज्य के विकास की बिल्कुल परवाह नहीं है। 19