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Showing posts from March, 2019

चुनावी व्यवस्थाएं और निर्वाचन आयोग के कर्तव्य

17वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव की रणभेरी बज चुकी है और प्रथम चरण का मतदान 11 अप्रैल को होगा जिसमें उत्तराखण्ड राज्य की पांचों लोकसभा सीटें भी सम्मिलित हैं। उत्तराखण्ड में बारी-बारी से कांग्रेस और भाजपा की सरकारें बनती आयी हैं पूरे प्रदेश में लगभग डेढ़ दर्जन राजनैतिक परिवार हैं जिनमें आधा दर्जन ही शीर्ष पर हैं उन्हीं परिवारों से सांसद, मुख्यमंत्री, राज्यसभा, विधायक तथा मंत्री बनते हैं यह अघोषित नियम है। चुनाव हो या सुविधायें देने के समय यहां क्षेत्रवाद भी स्पष्ट रुप से दिखायी देता है, कोई भी बड़ा नेता आमने-सामने की टक्कर के साथ चुनाव मैदान में नहीं कूदता है बल्कि एक दल का बड़ा नेता जब किसी सीट से चुनाव लड़ता है तो दूसरा दल उसके मुकाबले अपना कमजोर प्रत्याशी उतार देता है यह अन्दर खाने सैटिंग की बात है जो लोकतंत्र के लिए अशुभ संकेत के रुप में देखी जा रही है। चुनाव आयोग का उद्देश्य निष्पक्ष चुनाव का होता है और समस्त निर्णय संविधान को सर्वोपरि रखकर किए जाते हैं। चुनाव के समय समस्त सरकारी मशीनरी चुनाव आयोग के अधीन हो जाती है जो संविधान के दायरे में आकर काम करती है। कुछ सरकारी कर्मचारी चुनावी

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनेगी संसद में उत्तराखण्ड की आवाज : फुरकान अली

हरिद्वार। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रत्याशी फुरकान अली एडवोकेट ने कहा है कि प्रसपा उत्तराखण्ड राज्य की प्रगति का माध्यम बनेगी जिसकी शुरुआत हरिद्वार से हो रही है। चुनाव चिन्ह आवंटन के बाद आज शारदानगर स्थित कैम्प कार्यालय पर कार्यकर्त्ताओं के साथ चुनाव प्रचार की रणनीति पर विचार करते हुए उन्हांेने कहा कि कैम्प कार्यालय को ही मुख्य चुनाव कार्यालय के रुप में प्रयोग किया जायेगा जिसका उद्घाटन 01 अप्रैल को दोपहर 2 बजे होगा। राज्य की प्रगति के लिए क्षेत्रीय दलों के योगदान की महत्ता बताते हुए उन्हांेने कहा कि राष्ट्रीय दल केवल राजनैतिक लाभ लेने के लिए चुनाव लड़ते हैं जबकि क्षेत्रीय दलों का एजेण्डा विकास का होता है। नए राज्य को 18 वर्ष बीतने के बाद भी किसी नेता ने आज तक उत्तराखण्ड की आवाज संसद में नहीं उठायी परिणाम स्वरुप राज्य पलायन, बेरोजगारी के साथ ही शिक्षा एवं चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। उत्तराखण्ड की अब तक हुई दुर्दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि अब तक सत्ता पर काबिज रहे दलों ने राज्य से कृषि और कृषक दोनों को समाप्त करने का काम किया है। पहाड़ों से कृ

विकास का मुद्दा छोड़ गठबंधन के आधार पर होगा 17वीं लोकसभा का चयन

लोकसभा चुनाव लोकतंत्र का महापर्व होता है जो प्रत्येक पांच वर्ष में देश की तस्वीर और तकदीर बदलने के रुप में आयोजित किया जाता है, वैसे तो संविधान के अनुरुप इस चुनाव में देश की जनता अपने लिए समय की मांग के अनुरुप नियम और कानून बनाकर सत्ता का संचालन करने वाले प्रतिनिधियों का चयन करती है और नब्बे के दशक तक ऐसा ही हुआ भी है। कुछ समय से देश की सत्ता पर ऐसे लोगों की दृष्टि पड़ी जिनका देश की आजादी अथवा आजादी के बाद विकास में कोई योगदान नहीं रहा। जो अंग्रेजों के मुखबिर और देश को आजाद कराने वाले के कातिल के रुप में जाने जाते थे उन्हांेने बातें बनाकर देश की जनता पर ऐसा जादू किया कि जनता उनके झूठे वादों और 15-15 लाख के स्वार्थ में फंसकर देश का अहित कर बैठी। देश ने छः दशकों में जो उन्नति की थी वह सारी की सारी बीते पांच वर्ष में अवनति में बदल गयी और देश की अर्थव्यवस्था का यह आलम हो गया कि उंगली पर गिने चुने चंद लोगों को छोड़ कर पूरे देश की जनता संकटग्रस्त हो गयी। पूरे देश की आय घट कर गरीबी की रेखा की तरफ जा रही है और जो कच्छाधारी थे वे वातानुकूलित पांच-पांच मंजिली इमारतों के मालिक बन गए। वैसे तो सत्त

देश की मजबूती के लिए सत्ता में परिवर्तन जरुरी

तानाशाही और लोकतंत्र एक-दूसरे के विरोधी हैं, जब सत्ता पर तानाशाही का नशा सवार हो जाता है तो लोकतंत्र की व्यवस्था ध्वस्त होने लगती है और व्यक्ति विशेष जब देश और समाज से स्वयं को सर्वोपरि समझने लगे तब उसका और उसकी सत्ता का पतन सुनिश्चित हो जाता है। भारत के संविधान तथा सनातन धर्म शास्त्रों में सीधी व्यवस्था दी गई है जब-जब असुर एवं अभिमानियों की वृद्धि होती है तभी प्रकृति में एक बड़े बदलाव की बयार आती है और वर्तमान लोकसभा चुनाव भी लोकतंत्र एवं संविधान को बचाने की बहुत बड़ी बयार के रुप में देखा जा रहा है। तानाशाही गुलामी का प्रतीक होती है और ऐसी ही तानाशाही के परिणाम स्वरुप इस देश ने लगभग चार सौ वर्षों तक अंग्रेजों की गुलामी झेली। सोलहवीं सदी में जब देश को गुलाम बनाने की नींव ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने रखी थी वैसी ही बुनियाद अब हमारी वर्तमान केन्द्रीय सत्ता ने चंद पूंजीपतियों को देश की अधिकांश व्यवस्थाएं सौंप कर रख दी है। इस व्यवस्था से देश के एक संचार विभाग, ओएनजीसी, एचएएल तथा रेलवे जैसे भारी भरकम एवं अर्थव्यवस्था के मुख्य स्रोत का निजीकरण जैसे हालत बनाकर देश को गुलामी की ओर ले जाने के प्रयास

जो किसानहित के काम करेगा वही देश पर राज करेगा

हरिद्वार। अन्तर्राष्ट्रीय उपभोक्ता कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष रामनरेश यादव ने कहा है कि 2019 का चुनाव किसानों का होगा और देश में उसी दल की सरकार बनेगी जो किसानों की उपज का पूरा मूल्य देगा। देश की आजादी के सात दशक और लोकसभाओं के 16 आम चुनावों में जो मुद्दे राजनैतिक दलों ने रखे उससे देश की 75 प्रतिशत आबादी खुश नहीं है। उसी का परिणाम है कि अनेकों दलों द्वारा की जाने वाली महंगाई और बेरोजगारी समाप्ति की घोषणायें झूठी साबित हो रही हैं। हमारे देश की कार्यपालिका हो या विधायिका दोनों ने अब तक अपना और पूंजीपतियों का ही विकास किया जिससे देश में आर्थिक विषमता बढ़ी, न तो बेरोजगारी कम हुई न ही महंगाई। हमारे देश की राजनीति अब पूरी तरह से पूंजीपतियों की गिरफ्त में आ रही है जो कुल आबादी के एक प्रतिशत भी नहीं हैं। इन पूंजीपतियों की सुझायी गयी राय के अनुसार ही सरकार की योजनायें बनती हैं लेकिन उनके उद्योग देश की दो-तीन प्रतिशत आबादी को भी रोजगार नहीं दे पाते हैं। उनका उत्पादन ऐसा कि अपने देश में बने सामान से सस्ता माल पड़ोसी बेचकर मालामाल हो रहा है और मौका पड़ने पर हमारा विरोध भी करता है। देश के प्रति

भारत की हो रही दुर्दशा को चुनाव के माध्यम से संभाले देश की जनता

धर्म और राजनीति दोनों अलग-अलग पहलू हैं, धर्म से राजनीति और समाज दोनों को दिशा मिलती है। धर्म धारण करने की वस्तु है जिससे व्यक्ति धर्म में आस्था बढ़ाकर कर्म की शुद्धि की ओर अग्रसर होता है जबकि राजनीति में छल, बल, झूठ-फरेब तथा साम-दाम-दण्ड-भेद की नीति अपनानी पड़ती है इसीलिए धर्म को राजनीति से अलग रखा गया था। भारत में एक ऐसा संगठन है जो गुलामी के समय से ही देश का दुश्मन रहा और अंग्रेजों की चाटुकारिता तथा मुखबिरी की, उस संगठन का स्वतंत्रता संग्राम में भी कोई योगदान नहीं रहा और जिस संगठन अथवा व्यक्तियों ने देश को स्वतंत्र कराया वे लोग और संगठन दोनों ही उस संगठन के दुश्मन बन गए परिणाम स्वरुप देश के प्रति गद्दारी करने वालों को देश की जनता ने कभी सत्ता के लिए नहीं चुना। देश के इन गद्दारों ने देश को पुनः गुलामी में जकड़ने के लिए जहां सरकारी जमीनों को एक विद्यालयी संस्था तथा अन्य संस्थाओं के नाम से आंवटित कर अपनी जड़ें जमायीं वहीं चुनावों में जनता को शराब, धन तथा अन्य खानपान एवं उपभोक्ता की वस्तुएं मुहैया कराकर इतना लालची बना दिया कि जनता अपने वोट की कीमत वसूलने लगी। इस संगठन ने जब देखा कि पूरे दे

धार्मिक उन्माद, अलगाववाद और क्षेत्रवाद ही विकास में सबसे बड़ी बाधा

हरिद्वार। धर्म और क्षेत्रवाद के आधार पर जब राजनीति शुरु हो जाये तो समझो किस उस प्रदेश या देश का विकास रुक गया है। हमारे संविधान ने सभी वर्गों न्यायपलिका, कार्यपालिका, विधायिका और प्रचार तंत्र सभी के कार्य निर्धारित किए हैं क्योंकि लोकतंत्र को संरक्षण और संवर्द्धन प्रदान करना इन चारों का कर्तव्य है जिससे देश की जनता के अधिकार सुरक्षित रहते हैं और गणतंत्र को मजबूती मिलती है। संविधान के अनुसार सत्ता और स्वार्थ के मुकाबले राष्ट्रहित सर्वोपरि होता है, लेकिन जब सत्ता प्राप्ति के लिए झूठ, फरेब, धर्म और सुरक्षा को भी दांव पर लगा दिया जाये तो समझ लो कि उस देश का भविष्य बिगाड़ने वालों का बहुमत बढ़ रहा है। सरकार वही सफल होती है जो संविधान के अनुरुप कार्य करे और सरकारी तंत्र संविधान तथा शासनादेशों के अनुरुप आचारण करे। यूपी में जब-जब राम मंदिर का मुद्दा उठा सत्तारुढ़ दल की साख गिरी। चाहे काशीराम और मुलायम सिंह यादव का गठबंधन हुआ या अब अखिलेश यादव और मायावती का गठबंधन हो। यूपी सरकार ने जब गाय, गंगा और हिन्दू-मुसलमान का नारा बुलन्द किया और पुलिस ने एनकाउन्टर अभियान चलाया तो सरकार फूलपुर, कैराना और नूर

मूल अधिकारों से वंचित देश की सत्तर प्रतिशत आबादी ?

हरिद्वार। अन्तर्राष्ट्रीय उपभोक्ता कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष रामनरेश यादव ने कहा है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के सात दशक बीतने के बाद भी देश की सत्तर प्रतिशत आबादी अपने मौलिक अधिकारों से वंचित है और जब तक भारत का किसान सम्पन्न नहीं होगा तब तक न साइनिंग इण्डिया बनेगा न डिजिटल और न ही राइजिंग इण्डिया। देश को खुशहाल बनाने के लिए अन्नदाता का संरक्षण और संवर्द्धन आवश्यक है जिसके लिए किसानों को उसकी उपज का वाजिब मूल्य देना होगा जो अब तक देश की सत्ता पर काबिज रही सरकारों ने नहीं दिया। प्रेस को जारी एक बयान में यादव ने कहा कि शिक्षा और चिकित्सा समाज की मूल आवश्यकता है लेकिन देश की 70 प्रतिशत आबादी को पिछले सत्तर वर्षों से न तो शिक्षा मिल रही न ही चिकित्सा। शिक्षा एवं चिकित्सा का पूर्ण रुपेण व्यवसायीकरण हो गया है और ये दोनों सुविधायें देश के बड़े या चुनिंदा शहरों तक ही समिति हैं। शिक्षा के अभाव में किसान का बेटा न तो उच्च स्तरीय सरकारी सेवाओं में जा पाता न ही स्वरोजगार के माध्यम से अपनी बेरोजगारी रोक पाता है। केवल राजनेता या उच्चाधिकारियों के बच्चे ही सरकारी सेवा प्राप्त कर पाते हैं जबकि किस

शिव-शक्ति के संरक्षण में होता है सृष्टि का संचालन : संतोषी माता

हरिद्वार। शक्ति उपासना ट्रस्ट की परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर संतोषी माता जी महाराज ने कहा है कि शिव और शक्ति के संरक्षण में सृष्टि का संचालन होता है और शिव ही एकमात्र ऐसी दैवीय शक्ति हैं जिनकी कृपा से देव तथा दानव दोनों उपकृत होते हैं। वे आज सन्यास मार्ग स्थित मां संतोषी आश्रम में महाशिवरात्रि के उपलक्ष में आयोजित विशाल शिवोपासना समागम में शिव और शक्ति की महिमा का वर्णन कर रही थीं। शिवोपासना के महत्व पर प्रकाश डालते हुए म.मं. संतोषी माता ने कहा कि विश्व में सर्वाधिक उपासक भगवान शिव के हैं जो मात्र जलाभिषेक से प्रसन्न होकर भक्तों को इच्छित वरदान देते हैं। भगवान शिव को गंगाजल से प्रसन्न होने वाला भगवान बताते हुए उन्होंने कहा कि शिव शंकर के नाम जाप में ही इतनी शक्ति है उनके बीजमंत्र का उच्चारण करने वाला सैकड़ों किमी की पैदल यात्रा की शक्ति प्राप्त कर लेता है और जो भक्त भगवान भोलेनाथ की कांवड़ यात्रा में सम्मिलित हो जाता है वह तन, मन और धन धान्य से सुखी हो जाता है। सनातन धर्म को सृष्टि का सर्वोत्कृष्ट धर्म बताते हुए उन्होंने बताया कि इस धर्म के सभी पर्वों का वैज्ञानिक महत्व है जो हमारे ऋषि-

राष्ट्र के कल्याण के लिए महारुद्राभिषेक का आयोजन

हरिद्वार। गीता एवं गायत्री के उपासक महामण्डलेश्वर स्वामी विज्ञानानन्द सरस्वती जी महाराज ने आज विष्णु गार्डन स्थित श्रीगीता विज्ञान आश्रम में महारुद्राभिषेक का आयोजन कर राष्ट्र एवं समाज के कल्याण की कामना की। अपने हजारों अनुयायियों के साथ भगवान शिव का जलाभिषेक एवं श्रृंगार कर राष्ट्र और समाज को संभावित संकट के उबारने के लिए भगवान शिव एवं मां गंगा से प्रार्थना की। देश और धर्म को सम्पूर्ण मानवता के लिए सर्वोपरि बताते हुए उन्होंने कहा कि सत्कर्म करने वाला शतायु होकर सुख एवं समृद्धि का आनन्द लेता है जबकि कुमार्ग पर चलकर भय का वातावरण बनाने वाले स्वयं अपने विनाश का वातावरण बनाते हैं। भारत को विश्व का सर्वाधिक सहिष्णुतावादी राष्ट्र बताते हुए कहा कि इस महाशिवरात्रि पर अधिकांश शिवालयों में राष्ट्र और समाज के कुशलक्षेम के लिए जलाभिषेक के साथ ही प्रार्थना सभाओं का भी आयोजन हुआ है। भगवान शिव को सृष्टि का सर्वशक्तिमान देव बताते हुए कहा कि देवता और राक्षस दोनों ही उनके उपासक हैं जबकि सभी शक्तिपीठ उनकी अर्द्धागिनी सती के अवशेषों पर तथा दस महाविद्याओं का प्राकट्य माता पार्वती की शक्ति से हुआ है। म

सैनिक कार्यवाही का राजनीतिकरण करना संविधान का अपमान

राजनीति कभी राज करने की नीति होती थी जिसे अब इतना घृणित बना दिया गया कि इसका उद्देश्य केवल और केवल सत्ता की प्राप्ति तक सीमित कर दिया गया है धर्म व्यक्ति का कर्म होता है और राष्ट्र धर्म सर्वोपरि होता है। धर्म से व्यक्ति और समाज को सत्कर्म की प्रेरणा मिलती है जबकि जन्मभूमि जिसे राष्ट्र और देश कहते हैं वह जन्म देने वाली माता से भी ऊंचा स्थान रखती है। यह सब अब अतीत के ख्वाब बनकर रह गए हैं आज के नेताओं को केवल और केवल सत्ता ही नजर आती है उसे प्राप्त करने के लिए धर्म, धर्मस्थल, धर्मगुरु, समाज और सेना को भी कुर्बान करना पड़े तो कोई हिचक नहीं होती है। हमारे राजनेताओं में देशभक्ति तो है लेकिन अन्तरात्मा में न होकर अब दिखावे में बदल गयी है जिसका प्रदर्शन और प्रयोग राजनैतिक लाभ लेने के बाद किया जाता है। चूंकि यह डिजिटल इण्डिया का युग है और थलसेना के स्थान पर वायुसेना का प्रयोग करने का युग आ गया है फिर भी वर्तमान सरकार में हुए उड़ी हमले का बदला दस दिन में और पुलवामा की आतंकी घटना जिसमें 42 जवानों की जाने गयीं उसका बदला बारह दिन बाद लिया गया। यहां प्रधानमंत्री की राष्ट्रभक्ति को सलाम है लेकिन 42 जव