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Showing posts from January, 2020

आम बजट से होगा साफः भाजपा विकास चाहती है या विनाश!

भारतीय संविधान के अनुसार केन्द्र सरकार देश की व्यवस्था चलाने के लिए एक बजट तैयार करती है जिससे आय एवं व्यय का ब्यौरा तैयार किया जाता है कि सरकार चलाने के लिए आय के स्रोत क्या होंगे और उनका व्यय किन.किन मदों में कितना.कितना किया जायेगा। इस बजट की तैयारी देश के वर्तमान हालात के अनुरुप की जाती है कि किस मद में धन के व्यय का प्राविधान किया जाये कि बेरोजगारी एवं महंगाई से निजात पाकर राष्ट्र को प्रगति के पथ पर अग्रसर किया जायेए इसकी तैयारी आजकल चल रही है आगामी माह के अन्त तक आम बजट प्रस्तुत कर दिया जायेगा। बजट से ही देश की जनता अपनी चयनित सरकार की नीति और नियति का अंदाजा लगाती है। भारत कृषि प्रधान देश था और आज भी देश की साठ प्रतिशत जनता सीधे कृषि से और 20 प्रतिशत आबादी अपरोक्ष रुप से आज भी कृषि पर आधारित है। शुगर मिल हों या राइस मिलए रासायनिक खाद के कारखाने हों या ट्रैक्टर अथवा अन्य कृषि यंत्र बनाने वाले उद्योग सभी कृषि पर आधारित हैं और कृषि उत्पादों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला जाये तो देश की 100 प्रतिशत आबादी किसानों द्वारा उत्पादित खाद्यान्न पदार्थ अनाजए सब्जीए फल और दूध पर ही आधारित है

विरोध की राजनीति से कमजोर होता है देश और समाज

आन्दोलन एवं विरोध की राजनीति को दबाना सरकार का कर्तव्य है लेकिन जब सरकार ही किसी ऐसी नीति को लागू करे जिससे देश की जनता के हक हकूक पर हमला हो रहा हो तो वह सरकार की विफलता का परिचायक होता है और नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में पूरे देश में जनता के जो स्वर उठ रहे हैं वे देश और समाज दोनों के लिए नुकसान दायक हैं। वर्तमान सरकार की कार्यशैली देश में इससे पूर्व कार्यरत रही सरकारों से एकदम विपरीत है और आम नागरिकों का मानना है कि इस सरकार का कोई भी निर्णय तैयारी के साथ नहीं लिया गया बल्कि तानाशाहीपूर्वक जनता पर थोपा गया। पूरे देश में प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री ने जो अपने निर्णय थोपने और उन पर अडिग रहने का जो ऐलान किया वह तर्क संगत नहीं लग रहा। इस निर्णय का न तो देश की जनता एवं विपक्ष ने स्वागत किया और न ही विश्व के अन्य देशों ने। आन्दोलन और विरोध प्रदर्शन छोटा या बड़ा देश और समाज दोनों के लिए अहितकारी होता है लेकिन सरकार ने अब तक जो निर्णय लिए वह उसकी अपनी विचारधारा पर आधारित माने जा रहे हैं। सरकार के पिछले निर्णय यदि देश के लिए लाभकारी रहे होते तो जनता इस पर भी विश्वास कर लेती लेकिन पिछल

एनआरसी एवं सीएए का औचित्य और देश पर पड़ने वाला आर्थिक बोझ

देश की सरकार हो या राज्य की जो भी कानून बनाती है उसके सभी पहलुओं पर विचार करने के लिए ही पक्ष और विपक्ष में बहस का प्राविधान हमारे संविधान में किया गया है। हमारे देश में आजादी के बाद एक दर्जन से भी अधिक ऐसी सरकारें बनी जिन्होंने संविधान का सम्मान किया और बिना विपक्षी राय के किसी भी कानून को लागू नहीं किया लेकिन हमारे देश में दो नेता ऐसे भी पैदा हुए जिन्होंने बड़ी कुर्सी पर बैठने के बाद स्वयं से बड़ा किसी को नहीं समझा और जो भी निर्णय लिए वे स्वेच्छाचारिता पूर्ण थे, उन निर्णयों से देश को काफी क्षति हुई। उन नेताओं में पहली थीं इन्दिरा गांधी और दूसरे हैं नरेन्द्र मोदी। इन्दिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल लगाया था तो नरेन्द्र मोदी ने बने बनाये भारत को उस कंगाली और बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया जो देश को 2014 से पूर्व वाली स्थिति में लाने में दो दशक का समय लगेगा वह भी तब जब किसी राष्ट्रहित सोचने वाले और संविधान का सम्मान करने वाले की सत्ता आये। केन्द्र सरकार ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारतवर्ष की जनता को सोचना चाहिए कि एक प्रदेश के दो आदमी मिलकर पूरे देश की 130 करोड़ जनता पर अपने निर्णय कैस

श्रीरामानन्दाचार्य जयन्ती पर वैष्णो मण्डल ने निकाली भव्य शोभायात्रा

हरिद्वार, 17 जनवरी। आद्य जगद्गुरु रामानन्दाचार्य जी भगगवान की 720वीं जयन्ती आज पंचपुरी में श्रीरामानन्दीय वैष्णव मण्डल हरिद्वार के तत्वावधान में राष्ट्र एवं विश्व की मंगल कामना के साथ समारोहपूर्वक मनायी गयी। जयंती महोत्सव का शुभारम्भ उत्तरी हरिद्वार के भोपतवाला स्थित श्रीगोकुल धाम में विशेष पूजा-अर्चना के साथ प्रारम्भ हुआ और शोभायात्रा के रुप मंे भगवान रामानन्दाचार्य का रथ मुख्य मार्ग से हरकी पैड़ी होते हुए श्रवणनाथ नगर स्थित श्री रामानन्द आश्रम पहुंचा जहां सभी आश्रम एवं अखाड़ों के संत महापुरुषों ने आचार्य महापीठ से विश्व कल्याण की कामना की। शोभायात्रा का शुभारम्भ म. दुर्गादास एवं महामण्डलेश्वर डॉ. विवेकानन्द महाराज ने नारियल तोड़कर किया। गोकुल धाम में आद्य जगद्गुरु रामानन्दाचार्य भगवान के रथ का शुभारम्भ करते हुए बाबा बलराम दास हठयोगी एवं महंत परमेश्वर दास ने कहा कि रामानन्द सम्प्रदाय सम्पूर्ण राष्ट्र एवं विश्व को परिवार सदृश मानते हुए सामाजिक समरसता का संदेश देता है और बिना किसी जाति व्यवस्था के सभी को भगवान का अंशावतार मानता है। श्रीरामानंदीय वैष्णव मण्डल की ओर से उछाली आश्रम

भटकाव से आजिज आयी भारत की जनता को अब चाहिए विकास

भारत माता ने भाजपा सरकार के छः साल के कार्यकाल में बड़े कटु अनुभव किए हैं और अब जनता का धैर्य जवाब दे रहा है अब तक जो हुआ वह जनता ने बड़ी खुशी-खुशी, बड़ी -बड़ी उम्मीदों के साथ झेला। जनता ने जो किया उसका फल उसे मिला। यह प्रकृति का नियम है कि जैसा करोगे वैसा भरोगे। जनता को अच्छे दिनों की चाहत थी यह उसकी अति महत्वाकांक्षा थी क्योंकि जबसे इक्कीसवीं सदी का आगाज हुआ तभी से जनता के अच्छे दिन शुरु हो गए थे और 2013-14 में पूरे देश की जनता अच्छे दिनों में ही जी रही थी लेकिन लालच बुरी बला होती है देश की जनता को और अच्छे दिन चाहिए थे सो देख लिए। देश की जनता के लालची होने का ही प्रमाण है कि 15-15 लाख रुपये के लालच में आकर आज देश का कितना बड़ा नुकसान हुआ इस बात का एहसास देश की जनता को करना चाहिए कि उसके लालच ने आज देश को 15 साल पीछे धकेल दिया है। देश की जनता अपने किए का परिणाम भुगत चुकी है अब केन्द्र सरकार से भारत माता की सेवा करने की आस रख रही है। अब केवल भारत माता की जय बोलने से काम चलने वाला नहीं है और न ही पाकिस्तान को थर-थर कंपवाने से भारत का विकास होगा। कश्मीर से धारा 370 हट जाने के बाद न तो को

भाजपा ने धर्म के नाम पर राजनीति कर धर्म और संस्कृति को पहुंचाई भारी क्षति

हरिद्वार। धर्म के नाम पर वोटबैंक की राजनीति करने वाली भाजपा ने सनातन धर्म और संस्कृति का राजनीतिकरण कर भारतीय समाज से संस्कार एवं नैतिकता को पतन के गर्त में धकेल दिया है। भाजपा के इस तुष्टीकरण का ही प्रभाव है कि संतों ने भी धर्म और अध्यात्म से किनारा कर राजनीति की तरफ अपना मुंह मोड़ लिया है। यूपी के मुख्यमंत्री सहित कई केन्द्रीय एवं राज्यों में मंत्री रहने के बाद अब संसद तथा विधानसभाओं में भी भगवा उपस्थिति का समावेश बढ़ने लगा है। देश के सबसे बड़े प्रदेश यूपी में मुख्यमंत्री जैसी कुर्सी पर एक संत के विराजमान होने, केन्द्रीय मंत्री, सांसद, विधायक और पूर्व केन्द्रीय गृहराज्य मंत्री जैसे पदों पर संतों की रही धमक ने अब संत समाज को धर्म एवं अध्यात्म से हटाकर राजनीति की तरफ मोड़ दिया है परिणामतः हरिद्वार के कई आश्रम अब पूर्ण रुपेण अघोषित रुप से राजनीति के अखाड़े बन गए हैं यहां या तो अब धार्मिक कार्यक्रम होते नहीं और होते हैं तो उन पर राजनेताओं का ही वर्चस्व रहता है किसी संत, शंकराचार्य या बड़ी धार्मिक संस्था का प्रतिनिधित्व शून्य ही रहता है। स्वामी रामदेव तथा श्री श्री रविशंकर के व्यापार में

देश की आजादी और संविधान पर मंडराते खतरे से सावधान हो देश की जनता

हरिद्वार। अन्तर्राष्ट्रीय उपभोक्ता कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष रामनरेश यादव ने कहा है कि संविधान ही देश, समाज एवं धर्म की आजादी बरकरार रखने का आधार है और जब तक संविधान सुरक्षित है तभी तक देश की सुरक्षा तथा सामाजिक एकता कायम रहेगी। संविधान से ही लोकतांत्रिक व्यवस्था का संचालन होता है, अतः संविधान की रक्षा करना देश की सरकार और जनता दोनों का सामूहिक दायित्व होता है। संविधान से ही विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका में समन्वय स्थापित होता है जबकि मीडिया लोकतांत्रिक स्तम्भों को कर्तव्यबोध का संदेश देता है। स्वार्थ की भावना जब परोपकार से ऊपर उठ जाती है तो नैतिक पतन का शुभारम्भ होता है जिससे लोकतंत्र के चारों स्तम्भ दायित्व को भुलाकर स्वार्थ की ओर पलायन कर जाते हैं जिसे रोकना आज राष्ट्र रक्षा के लिए आवश्यक हो गया है। देश के बिगड़ते हालात पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सत्ता परिवर्तनशील होती है अतः सत्तारुढ़ दल और विशेषकर कार्यपालिका को संविधान सम्मत आचरण करने के लिए संकल्पबद्ध होना चाहिए। राजनैतिक दल अपनी सत्ता को बरकरार रखने अथवा खोयी सत्ता प्राप्त करने क

नए साल में लोक कल्याणकारी योजनाओं का आगाज करे केन्द्र सरकार

इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक का यह अन्तिम वर्ष है और 2020 में दोनों ही अंक 20-20 हैं जो 20 के साथ 19 का अंक था वह बीत गया। केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह 19 और 20 की कार्यशैली को अंक की गरिमा के अनुकूल बनाये तथा 2020-21 के बजट में ऐसा प्राविधान करे कि देश की जनता उसके पिछले कार्यकलापों जिनकी देश की अधिसंख्य जनता तथा विपक्षी दलों ने आलोचना की को भुलाकर इस वर्ष को लोक कल्याणकारी निर्णयों के लिए याद करे। केन्द्र सरकार अपने छः साल के कार्यों और लागू किए गए निर्णयों पर आत्म मंथन कर 1975 में लागू किए गए आपातकाल से तुलना कर यदि उसे देश के लिए अपना कोई निर्णय देश की आम जनता के पक्ष में अहितकारी लगे तो उसे रोक दे अन्यथा देश की जो वर्तमान स्थिति है उससे न तो देश की जनता ही खुश है और विश्व। किसी भी लोकतांत्रिक देश की सरकार किसी दल या धर्म विशेष की न होकर सम्पूर्ण देशवासियों की सरकार होती है और उसके चयन में भले ही देश की 30 प्रतिशत या उसके समकक्ष आबादी का योगदान ही रहा हो लेकिन सरकार के संचालन में देश की सम्पूर्ण आबादी द्वारा करों के रुप में दिए गए आर्थिक सहयोग का योगदान होता है और देश में रहने वा