महात्मा गांधी ,सुभाष चंद्र बोस एवं भगत सिंह जैसे सैकड़ों आजादी के महानायको ने तमाम यातनाएं सहते हुए जिस देश को 15 अगस्त 1947 में आजाद कराया उसे हमारे राजनेताओं ने दो बार कलंकित किया ।एक कहावत है कि अति सर्वत्र वर्जयेत अधिकता का आभास होते या बलशाली धनवान या सत्ता की शक्ति पाकर व्यक्ति मनमानी पर उतर आता है और यही अभिमान उसे कंस एवं रावण की भात उसे अंत तक पहुंचाता है हमारी आजादी को एक बार 1975 में आपातकाल की घोषणा कर कलंकित किया गया तो दूसरी बार नोटबंदी एवं लॉक डाउन के माध्यम से देश के आम नागरिक को परतंत्रता का आभास कराया गया आपातकाल से आम जनता इतनी प्रभावित नहीं हुई जितनी इस लॉक डाउन से हो रही है विडंबना यह कि जो तंत्र देश की जनता की सेवा के लिए बनाया गया वह भी सत्ता के शीर्ष पर बैठे राजनेता की तर्ज पर देश की गरीब एवं बेसहारा जनता को प्रताड़ित कर रहा है। वायरस किसी भी बीमारी का हो यह आते रहते हैं और अब तक जाने ही कितने वायरस और जीवन भक्षक बीमारियां आए वायरस और जीवन भक्षक बीमारियां आए सभी का जनता ने सामना किया अंततोगत्वा अब तक सभी भयंकर से भयंकर बीमारियों पर काबू