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Showing posts from April, 2020

परतंत्रता का प्रतीक है स्वतंत्र देश में क्रूर व्यवहार का सूत्रपात।

महात्मा गांधी ,सुभाष चंद्र बोस एवं भगत सिंह जैसे सैकड़ों आजादी के महानायको ने तमाम यातनाएं सहते हुए जिस देश को 15 अगस्त 1947 में आजाद कराया उसे हमारे राजनेताओं ने दो बार कलंकित किया  ।एक कहावत है कि  अति सर्वत्र वर्जयेत  अधिकता का आभास होते या बलशाली धनवान या सत्ता की शक्ति पाकर व्यक्ति मनमानी पर उतर आता है और यही अभिमान उसे  कंस  एवं रावण  की भात उसे अंत तक पहुंचाता है  हमारी आजादी को एक बार 1975 में आपातकाल की घोषणा कर कलंकित किया गया तो दूसरी बार नोटबंदी एवं लॉक डाउन के  माध्यम से देश के आम नागरिक को परतंत्रता का आभास कराया गया आपातकाल से आम जनता इतनी प्रभावित नहीं हुई जितनी इस लॉक  डाउन से हो रही है विडंबना यह कि जो तंत्र देश की जनता की सेवा के लिए बनाया गया वह भी सत्ता के शीर्ष पर बैठे राजनेता की तर्ज पर देश की   गरीब एवं बेसहारा जनता को प्रताड़ित कर रहा है।              वायरस किसी भी बीमारी का हो यह आते रहते हैं और अब तक जाने ही कितने वायरस और जीवन भक्षक बीमारियां आए वायरस और जीवन भक्षक बीमारियां आए सभी का जनता ने सामना किया अंततोगत्वा अब तक सभी भयंकर से भयंकर बीमारियों पर काबू

आम जनता के मूल अधिकारों को बहाल करें केन्द्र तथा राज्य सरकारें

घर वापसी कराने वालों के राज में घर वापस आने को तरस रही देश की जनता कोरोना के कहर ने पूरे विश्व को हिलाकर रख दिया है और 22 मार्च के जनता कर्फ्यू के बाद 24 मार्च से हुई 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा तथा बाद में 19 दिन की बढ़ोत्तरी ने देश की जनता का जीवन इतना कष्टमय बना दिया कि मजदूर और असहाय वर्ग अब भूख से मरने के स्थान पर कोरोना से संघर्ष करने में विश्वास करने लगा है। भारत सरकार ने भले ही बिना किसी तैयारी के नोटबंदी और जीएसटी की भांति अचानक यह निर्णय ले लिया हो लेकिन तीन सप्ताह तक भी कोरोना की रोकथाम के लिए किसी प्रकार की दवाई की खोज किए बगैर आम जनता पर पुलिस की सख्ती करवाना अब जनता के जहन को कुछ और ही संदेश दे रहा है। भारत में लगभग 40 प्रतिशत जनता दैनिक मजदूरी पर और 10 प्रतिशत जनता असंगठित क्षेत्र जिसे निजी क्षेत्र भी कह सकते हैं के माध्यम से अपना पेट पालती है। कुल मिलाकर देश की 50 प्रतिशत आबादी दो जून रोटी के लिए तरस रही है और सरकारी तंत्र जनता की आवाज सुनने के स्थान पर सरकारी आदेशों के पालन के नाम पर जनाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है। हमारे देश की राजनीति इतनी गंदी और तंत्र इतना स्वार्