हरिद्वार । श्री गीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष तथा निरंजनी अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती एवं जूना अखाड़े के राष्ट्रीय सचिव महंत देवानंद सरस्वती ने आज सनातन संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन पर विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए देवभूमि उत्तराखंड के संत समाज से सनातन संस्कृति के गौरव को सर्वोच्च शिखर पर स्थापित करने का आवाहन किया। उन्होंने हरिद्वार में आयोजित हो रहे कुंभ पर्व को विश्व स्तर पर संस्कारित जीवन यापन के लिए प्रेरणादाई बनाने का भी संकल्प लिया तथा कलयुग को नैतिक पतन का युग बताते हुए माना कि विशंगतियाँ कितनी भी प्रवल हों प्रतिभाओं के सामने निर्बल एवं अस्तित्व हीन हो जाती हैं। निरंजनी अखाड़े के वरिष्ठ एवं वयोवृद्ध महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने संतो को देवताओं से भी महान बताते हुए कहा कि श्री हरि के अवतारी भगवान श्रीराम एवं श्रीकृष्ण ने भी देवताओं से अधिक संतों का सम्मान उनकी योग्यता एवं विचारधारा के आधार पर किया, इसीलिए संत समाज को राजा से भी बड़े संबोधन महाराज के नाम से पुकारा जाता है। समस्त संत समाज से अपनी प्रतिबद्धताओं एवं