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Showing posts from February, 2020

2020 के शुभारम्भ के साथ ही बैकफुट पर आयी भाजपा

2014 में सत्ता संभालने के बाद भाजपा सरकार ने 1975 के आपातकाल से भी कठोर निर्णय लिए, नोटबंदी तथा जीएसटी जैसे निर्णयों से देश का काफी नुकसान भी हुआ जनहानि एवं धनहानि होने बाद भी भाजपा सरकार ने अपना कोई भी निर्णय बदला नहीं। अपना कदम अनुचित होने के बाद भी कभी उस पर न तो अफसोस जताया न ही किसी के प्रति संवेदना। लगभग यही हाल 2017 के बाद यूपी की सत्ता संभालने के बाद वहां की राज्य सरकार का भी रहा है। यूपी ही नहीं पूरे देश की जनता अब इस नतीजे पर पहुंच गयी कि घर-परिवार के दायित्व को न संभालने वाला व्यक्ति कभी राजगद्दी का सफल संचालन नहीं कर सकता वह निरंकुश और तानाशाही में तो जी सकता है लेकिन किसी संविधान में बंधकर नहीं, यही कारण है कि देश के संविधान की शपथ लेकर कुर्सी संभालने वालों ने देश के संविधान और संविधान के निर्माताओं की अवज्ञा प्रारम्भ कर दी तथा स्वेच्छाचारिता से सत्ता का संचालन प्रारम्भ कर दिया जिसके परिणाम अब सामने आने लगे क्योंकि स्वार्थी जनता को सच्चाई समझने में विलम्ब होता है। भाजपा भले ही अब तक अपने निर्णयों पर अटल रही हो लेकिन यह पहला मौका है कि 2020 की शुरुआत ने भाजपा और संघ दोन

गीता है मानवतावादी ग्रन्थ: स्वामी विज्ञानानन्द सरस्वती

हरिद्वार। गीता मनीषी महामण्डलेश्वर स्वामी विज्ञानानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा है कि गीता मानवतावादी ग्रन्थ है जिसमें किसी जाति, धर्म अथवा सम्प्रदाय के अलगाव का वर्णन नहीं है। गीता एक एकमात्र ऐसा पावन ग्रन्थ है जिसमें सम्पूर्ण मानवता के लिए नरः एवं मानवः शब्द का प्रयोग कर वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश दिया है यही कारण है कि सनातन धर्म के अन्य ग्रन्थों की तुलना में गीता का विश्व की सर्वाधिक भाषाओं में अनुवाद हुआ है। वे आज दक्षनगरी के विष्णु गार्डन स्थित श्रीगीता विज्ञान आश्रम में फाल्गुन मास की अमावस्या पर पधारे भक्तों को गीता के उपदेशों का रसपान करवा रहे थे। मानव जीवन में गीता की ग्राह्यता का वास्ता देते हुए उन्हांेने कहा कि गीता भगवान श्रीकृष्ण की वाणी है जिसका अन्य मानव रचित ग्रन्थों की तुलना में अलग स्थान है गीता ही एकमात्र ऐसा सर्वमान्य गन्थ है जिसकी किसी भी धर्म के अनुयायी द्वारा आलोचना नहीं की जाती है। गीता के ज्ञान को मानव जीवन के लिए उपयोगी बताते हुए वयोवृद्ध संत ने कहा कि सभी धर्मग्रन्थों में व्यवहारिक ज्ञान की पूर्णता नहीं मिलती लेकिन गीता के उपदेशों में भगवान श्रीकृष्ण ने

अर्थयुग जायेगा सतयुग आयेगा : स्वामी विज्ञानानन्द सरस्वती

हरिद्वार। गीता ज्ञान के मर्मज्ञ महामण्डलेश्वर स्वामी विज्ञानानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा है कि युग और सत्ता के परिवर्तन से सृष्टि चक्र का संचालन होता है और धराधाम पर जब अत्याचार एवं अनाचार की वृद्धि होती है तब संत-महापुरुष युग परिवर्तन का शंघनाद करते हैं। भगवत सत्ता ही ब्रह्माण्ड की अदृश्य शक्ति है जो कर्म तथा आचरण के अनुरुप जीवधारी के जीवन का निर्माण करती है वे आज श्रीगीता विज्ञान आश्रम में स्वामी विज्ञानानंद वेद विद्यालय के वेदपाठी ब्राह्मणों को गीता ज्ञान की दीक्षा दे रहे थे। युग की परिवर्तनशीलता पर व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक कलियुग के बाद सतयुग आता है अर्थयुग की अवनति के बाद धर्म युग का शुभारम्भ होता है। सृष्टि के रचयिता एवं पालनहार को ही सर्वोपरि बताते हुए उन्हांेने वास्तविक संसार के स्वरुप की जानकारी देते हुए बताया कि भगवान ने केवल मानव का निर्माण किया हिन्दू, मुसलमान, सिख, इसाई इत्यादि का वर्गीकरण तो मानव की कल्पना है। भगवान ने पृथ्वी का सृजन किया उसमें हिन्दुस्तान, पाकिस्तान, रुस या अमेरिका तो मनुष्य की मान्यताओं के प्रतिफल है। वेदान्त का सार समझाते हुए उ

संघर्ष से सफलता प्राप्त करने के पर्याय थे जगद्गुरु स्वामी हंसदेवाचार्य : सतपाल ब्रह्मचारी

हरिद्वार, 12 फरवरी। धर्मार्थ सेवाओं के लिए समर्पित श्रीकृष्ण हरिधाम ट्रस्ट के परमाध्यक्ष श्री 108 महंत प्रेमानन्द शास्त्री जी महाराज के तत्वावधान में आज आश्रम के पुनरुद्धारक साकेतवासी श्रीमज्जगदगुरु रामानन्दाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य जी महाराज की प्रथम पुण्यतिथि के उपलक्ष में उनकी प्रतिमा का अनावरण पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी ने किया तथा संत महापुरुषों ने उनके संघर्षशील जीवन पर प्रकाश डालते हुए भावपूर्ण स्मरण किया तथा उनके संत जीवन को आत्मसात करने का आवाह्न किया। साकेतवासी जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज की प्रतिमा का अनावरण करते हुए अश्रुपूरित अवस्था में पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी ने कहा कि संघर्ष से सफलता प्राप्त करना और संगठन की शक्ति से असंभव को संभव बनाना महापुरुष की विशेषता होती है और स्वामी हंसदेवाचार्य ने संत समाज में जो मानक स्थापित किये उनको आत्मसात करने के लिए हम सबको उनके जीवन चरित्र से प्रेरणा लेनी होगी। आदि जगद्गुरु शंकराचार्य एवं स्वामी विवेकानन्द से उनकी तुलना करते हुए सतपाल ब्रह्मचारी ने कहा कि महापुरुष का जीवन लम्बा हो यह ज

संत संगठन तथा विलक्षण प्रतिभा के धनी थे जगदगुरु हंसदेवाचार्य जी महाराज : श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह

हरिद्वार, 11 फरव री। श्रीमज्जगदगुरु रामानन्दाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य जी महाराज की प्रथम पुण्यतिथि के उपलक्ष में श्रीजगन्नाथ धाम ट्रस्ट के तत्वावधान में गंगातट के पंतद्वीप मैदान में आज विराट श्रद्धाजंलि सभा का आयोजन किया गया। श्रद्धाजंलि समारोह में भानुपुरा पीठ के शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानन्द तीर्थ प्रेरणापीठाधीश्वर स्वामी दुर्गादास एवं श्रीनिर्मल पीठाधीश्वर श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह के सानिध्य में देश के कोने-कोने से आये हजारों संत-महापुरुषों एवं उनके अनुयायियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनके बताये मार्ग पर चलने का संकल्प लिया तथा उनके दोनों शिष्य अरुणदास एवं लोकेशदास के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। श्रीरामजन्म भूमि आन्दोलन के प्रमुख प्रणेता के रुप में माने जाने वाले साकेतवासी जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज की सांगठनिक क्षमता तथा असंभव को संभव बनाने वाली उनकी शैली को सभी संतों ने नमन करते हुए संत समाज के लिए हुई अपूर्णनीय क्षति बताया। भानुपुरा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ ने उनके संत जीवन को धर्म एवं संस्कृति के लिए महान प्रेरणादायी

11 फरवरी को देश के दिल से तय होगी सरकार और जनता के मन की बात?

देश का दिल कही जाने वाली दिल्ली में विधानसभा के चुनाव सम्पन्न हो रहे हैं। भारत में दिल्ली ही एकमात्र ऐसा शहर है जहां भारत के प्रत्येक प्रांत, शहर, क्षेत्र और समाज का प्रतिनिधित्व है इसलिए दिल्ली की जनता का निर्णय ही देश की जनता का निर्णय माना जाता है। देश की राजधानी होने के कारण यहां भिखारी और मजदूर से लेकर शीर्ष अधिकारी, मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति सभी मिलकर निर्णय लेते हैं यही कारण है कि दिल्ली के चुनावों को देश की जनता के निर्णय की बानगी के तौर पर देखा जाता है। वैसे तो आमतौर पर प्रत्येक चुनाव में जनता का मूड भांप कर ही चुनाव परिणाम का अंदाजा लगाया जा सकता है लेकिन इस चुनाव में एक पार्टी विशेष के प्रति अधिसंख्य जनता जिसमें दो धर्मों के लोगों का गुस्सा सम्मिलित है कुछ अलग ही स्थिति बयां कर रही है और कई कठोर निर्णय लेने के बाद भी असंवेदनशील बने रहने वाली पार्टी ने शाहीन बाग के धरने को भी जब नजरन्दाज कर दिया हो और शैक्षिक संस्थाओं को देशद्रोह की श्रेणी में ला दिया हो तो दिल्ली की जनता क्या निर्णय देगी इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। देश की प्रबुद्ध जनता भले

व्यर्थ के मुद्दे में उलझाकर देश का भविष्य बिगाड़ रही भाजपा

वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी की प्रधानमंत्री के रुप में लायी गई उम्मीददवारी से ही यह आभास हो गया था कि देश की सत्ता का सौदा हो चुका है और उसी सौदागर ने अपने ब्राण्ड के रुप में एक ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री के रुप में प्रस्तुत किया जिसे संसद के किसी भी सदन का सदस्य होने का अवसर कभी प्राप्त नहीं हुआ था यह भी ऐतिहासिक घटना ही थी। जब कोई कम्पनी, फर्म या व्यक्ति विशेष किसी देश का सौदा करे और देश का बुद्धिजीवी, विपक्ष और सामाजिक संस्थाएं तथा संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्ति तथा संस्थाएं उस व्यक्ति की कठपुतली बनकर कार्य करने लगें तो समझ लेना चाहिए कि देश का भविष्य बनेगा या बिगड़ेगा? ऐसा वही सोच सकते हैं जिनके अन्दर स्वार्थ से ऊपर उठकर देशभक्ति की भावना का संचार हो। देशभक्ति को स्वार्थ के सहारे ही समाप्त किया जा सकता है और यही कारण है कि हमारे देश में स्वार्थियों की संख्या बढ़ने से देशभक्ति की भावना का ह्यस हो रहा है। जब देश की संवैधानिक संस्थाओं एवं संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के स्वर बदल जायें तो समझो कि संविधान को समाप्त करने की साजिश जोर पकड़ गयी है। संविधान ही व्यवस्था संचालन की धु