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Showing posts from September, 2019

जनभावनाओं एवं जनता के हितों से खिलवाड़ कर रहीं केन्द्र तथा राज्य सरकारें

समाज के प्रति संवेदनशीलता, कानून का भय और कर्तव्य के प्रति निष्ठा ये सब बीते जमाने की बातें हो गयी हैं। हमारी सरकारें जन स्वास्थ्य के प्रति कितनी संवेदनशील हैं इसका अंदाजा नित नई-नई बढ़ रही बीमारियों डेंगू, चिकनगुनिया, कैंसर तथा अन्य बीमारियों को दिन-प्रतिदिन बढ़ रही भयावहता से सहज ही लगाया जा सकता है। एक जमाना था जब चेचक, मलेरिया, पोलियो तथा गले में घेंघा जैसी बीमारियां बढ़ रही थीं तो सरकार ने उन पर नियंत्रण किया लेकिन वर्तमान में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हमारी सरकारें ही बीमारियों पर नियंत्रण करने वालों के नियंत्रण में काम कर रही है। सृष्टि का सत्य है कि यहां न कोई धन सम्पदा लेकर आता है न ही जाता है सबकुछ किसी व्यक्ति विशेष की सम्पत्ति न होकर राष्ट्र और समाज की ही सम्पत्ति होती है बल्कि जो व्यक्ति गलत ढंग से अर्जित किए धन का संचय करता है वह इसी जन्म में नरक ;जेलद्ध की सजा भुगतता है। अब समाज का प्रत्येक व्यक्ति सुखमय एवं समृद्धशाली ;स्वर्ग सदृशद्ध जीवन जीने के चक्कर में अपना अन्त समय नरक ;जेलद्ध गामी बना लेता है ऐसा व्यक्ति की दूरगामी सोच के अभाव में होता है। केन्द्र सरकार हो या राज्य स

उत्तराखण्ड की समस्याओं के समाधान हेतु प्रसपा (लोहिया) ने भेजा राष्ट्रपति को ज्ञापन

हरिद्वार। राज्य सरकार की गलत नीतियों तथा अवैध करों की मार के साथ ही नए राज्य की स्थापना के 19 वर्षो में भी राज्य निर्माण का सपना साकार न होने के विरोध में आज प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रदेश संयोजक रामनरेश यादव तथा प्रदेश प्रभारी गिरीश वर्मा के नेतृत्व में प्रसपा कार्यकर्ताओं ने नगर मजिस्ट्रेट कार्यालय पर धरना देकर महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित दस सूत्रीय ज्ञापन नगर मजिस्ट्रेट को सौंप कर देश के सर्वोत्तम राज्य उत्तराखण्ड को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने की मांग की। इससे पूर्व प्रसपा कार्यकर्ताओं ने देवपुरा चौक पर एकत्र होकर देवभूमि के गंगा तट पर खोली जा रही शराब फैक्ट्रियों के विरोध में चल रहे देवभूमि सिविल सोसायटी के धरने को समर्थन प्रदान किया।  नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपने से पूर्व धरना सभा को संबोधित करते हुए प्रदेश प्रभारी गिरीश वर्मा ने कहा कि उत्तराखण्ड को राज्य बने 19 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। लेकिन नया राज्य बनने का सपना आज भी अधूरा है इसके लिए राज्य में अब तक सत्ता पर काबिज रही सरकारों की गलत नीतियां और नेताओं की बदनीयति जिम्मेदार है। उन्होंने उत्तराखण्ड को भार

देश के बिगड़े हालात के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही जिम्मेदार

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था यदि खराब होती है तो उस देश के प्रधानमंत्री की नीतियों को दोषी मानना स्वभाविक है। अनुभवों के अभाव में किसी से भी गलती हो सकती है, किसी सम्पन्न राज्य की सत्ता चलाने और पूरे देश का नेतृत्व करने में अन्तर होता है। हमारे प्रधानमंत्री से यदि कहीं गलतियां हुई हैं तो वे क्षम्य हो सकती हैं बशर्ते कि गलतियों का स्वयं संज्ञान लेकर उनमें सुधार का प्रयत्न किया जाये। सत्ता का लोभ सभी को होता है और सत्ता प्राप्त करने के लिए प्रत्येक दल का राजनेता साम, दाम, दण्ड और भेद की नीति अपनाता है। देश की सत्ता पर अब तक काबिज रहे राजनेताओं की कार्यशैली का आकलन किया जाये तो प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने अनुभवहीन होने के बाद भी जितनी बेहतरी से राष्ट्र के प्रारम्भिक काल की बुनियाद रखी सदैव न केवल स्मरणीय बल्कि अनुकरणीय रहेगी जबकि इन्दिरा गांधी की सत्ता संचालन का अलग ही अंदाज था। अपनी सत्ता बनाये रखने के लिए इन्दिरा गांधी ने अपनी मूल पार्टी को ही नकार कर अलग पार्टी बना ली और अन्त में आपातकाल जैसी घोषणा करनी पड़ी जिसका खामियाजा भी उन्होंने भुगता इसके अतिरिक्त वी.पी. सिंह हों या चन्

देश की जनता को मोदी ने बनाया नौकरशाही का गुलाम-मायूसी, तंगहाली और बदइन्तजामी का बनाया वातावरण: भ्रष्टाचार चरम पर

हरिद्वार, 16 सितम्बर। समाजवादी पार्टी के प्रदेश संयोजक रामनरेश यादव ने कहा है कि नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पूर्व जनता से जो वादे किये थे उनमें से एक भी पूरा नहीं किया बल्कि जो कहा उसका उलटा किया। ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने देश को अंग्रेजों का गुलाम बनाया तो मोदी ने अपने ही देश की नौकरशाही के माध्यम से पूरे देश को लूटकर बर्बाद कर दिया। संविधान और संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा समाप्त कर दी, उद्योग धन्धे चौपट कर दिए, सोना गिरवी रख दिया और रिजर्व  बैंक का भी खजाना खाली कर दिया। देश में विकास सम्बन्धी कोई भी योजना संचालित नहीं, नौकरशाही देश की गरीब जनता से जुर्माना वसूलने में जुटी हुई है जो जनता अच्छे दिनों का सपना देखकर मोदी-मोदी चिल्ला रही थी वही आज खून के आंसू रो रही है। पुलिस हो या सी.बी.आई., ई.डी. हो या चुनाव आयोग सभी अपना-अपना कर्तव्य त्यागकर देश और समाज को लूटने का काम कर रहे हैं। भारत विश्व का पहला देश है जो अजीब असमंजस की स्थिति से गुजर रहा है लेकिन मोदी इस देश को किसके हवाले करने वाले हैं इसका अभी तक किसी को ज्ञान नहीं है। विपक्ष जनता के मोदी प्रेम की उसको सजा दे रहा है

नगर विकास मंत्री के नेतृत्व में अभी तक शुरु नहीं हुए कुम्भ मेले के स्थायी निर्माण कार्य?

हरिद्वार। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रदेश संयोजक रामनरेश यादव ने कहा है कि कुम्भ मेला 2021 के आयोजन में मात्र 15 महीने का समय शेष है लेकिन स्थायी प्रवृत्ति के कार्यों का अभी तक श्रीगणेश नहीं हुआ है गत दिनों मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने 900 करोड़ रुपये की केन्द्र सरकार से मांग करने की बात कही थी। नियमानुसार केन्द्रीय सहायता से 70 प्रतिशत कार्य स्थायी प्रवृत्ति के होने चाहिए परन्तु मेले की आयोजक राज्य सरकार के आला अधिकारियों ने अभी तक स्थायी कार्यों की शुरुआत नहीं की जो मेला प्रशासन की नियति पर संशय की ओर इंगित कर रही है। ज्ञात हो 2010 के कुम्भ में भी केन्द्रीय बजट का सुदपयोग नहीं हुआ था इस बार मुख्यमंत्री बदले हैं लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री अब केन्द्र में मंत्री हैं और नगर विकास मंत्री यथावत हैं जबकि उस समय उप मेलाधिकारी रहे एक अधिकारी को अब अपर मेलाधिकारी का दायित्व सौंपा गया है। उस समय के उप मेलाधिकारी की नगर विकास मंत्री के अति विश्वास पात्र थे।  प्रेस को जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि कुम्भ मेले हांे या श्रावण मास का कांवड़ के मेले में, पार्किंग, प्रसाधन एव

सरकार के भरोसे न रहकर स्वयं आत्मनिर्भर बनंे किसान

अन्तर्राष्ट्रीय उपभोक्ता कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष तथा समाजवादी विचारक रामनरेश यादव ने कहा है कि केन्द्र सरकार अपनी गलत नीतियों के कारण लगातार असफलता की ओर बढ़ रही है। देश से धन गायब हो रहा है और उद्योग जगत मंदी की मार से बंदी के कगार पर है। सरकारी, अर्द्ध सरकारी तथा निजी क्षेत्र सभी पर आर्थिक मंदी का असर स्पष्ट रुप से दिखाई देने लगा है। देश बर्बादी की ओर जा रहा है, देश का सोना पहले ही गिरवी रखा जा चुका है और अब रिजर्व बैंक से रिजर्व धन में से एक बड़ा भाग सरकार ने ले लिया है जिसका स्पष्ट संकत है कि देश में भीषण आर्थिक संकट आने वाला है। वाहन चालान हो या अन्य कर देश के प्रत्येक वर्ग को लूटने का काम बड़े पैमाने पर चल रहा है लेकिन देश का धन कहां जा रहा है इसका जवाब देने वाला कोई नहीं है ऐसी स्थिति में देश की 70 प्रतिशत आबादी की भागीदारी वाले किसानों को देश तथा अपनी रक्षा के लिए अपने उत्पादन में बदलाव कर सरकारी प्रपंचों से अपनी रक्षा स्वयं करनी होगी। आज तक देश पर काबिज रही किसी भी सरकार ने किसान हित की न सोचकर नेता, नौकरशाही एवं उद्योगों के हितों की रक्षा की तथा किसान को उपेक्षित रखा।

नौकरशाही की गुलाम होकर रह गई देश की जनता

किसी राजनेता की कथनी और करनी में इतना बड़ा अंतर होता है, यों कहा जाये कि जो कहा उसका उल्टा किया, ऐसा देश की जनता ने आजादी के बाद पहली बार अनुभव किया। भारत की जनता मछली की तरह लालच में आकर पहली बार पश्चाताप कर रही है। देश के किसानों ने दोगुनी आय का सपना देखा था तो युवाओं ने प्रतिवर्ष दो करोड़ नए रोजगारों का, गरीबों ने अच्छे दिनों का सपना देखा तो पूरे देश की लालची जनता उस 15-15 लाख रुपये के लालच में बुरी तरह फंस गयी जिस प्रकार मछली और चूहा जाल में फंसते हैं। देश की जनता को शायद उस शख्स की असलियत तब पता नहीं थी जो अब पता चली है लेकिन अब इतनी देर हो चुकी है कि चिड़िया खेत चुग चुकी है। देश में कालेधन के नाम पर एक चवन्नी भी नहीं आयी जबकि दर्जनों बड़े कर्जदारों के या तो कर्ज माफ कर दिए गए या उनको मोटी रकमें लेकर विदेश भाग जाने में मदद दी गई। इस देश की जनता इतनी भोली है जो इससे पूर्व भी ईस्ट इण्डिया कम्पनी की मीठी-मीठी बातों में फंस कर गुलाम हो चुकी है और अब दोबारा उसी ईस्ट इण्डिया कम्पनी की तर्ज पर एक ऐसे गुजराती ने कमाल दिखाया जो बात तो हिन्दुत्व की करता है लेकिन शक्ल सूरत और कारनामों से मुल्ल