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Showing posts from December, 2019

गलत जांच आख्या देने वालों की मुख्यमंत्री से की दोबारा जांच की मांग

हरिद्वार। उत्तराखण्ड जल संस्थान में व्याप्त भ्रष्टाचार अब खुलकर सामने आ गया है और पूर्व पेयजल मंत्री स्व. प्रकाश पंत के आदेश से जो जांच अधीक्षण अभियंता सुबोध कुमार ने की थी वह पूर्णतयः झूठी निकली और शिकायतकर्ता की वे सभी शिकायतें सही निकलीं जो जांच से पूर्व राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री के समक्ष प्रस्तुत की गई थीं। यह भी सत्य सिद्ध हुआ कि विभागीय जांच में उच्चाधिकारी अपने अधीनस्थों को बचाने के लिए सरकार और विभाग सभी को गुमराह कर झूठी जांच आख्या भेजते हैं फिर भी झूठी जांच आख्या देने वाले अधिकारी के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं होती है। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रदेश संयोजक रामनरेश यादव ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को दिए पत्र में लिखा है कि उत्तराखण्ड जल संस्थान के अधीक्षण अभियंता हरिद्वार सुबोध कुमार ने जो जांच आख्या 2 अगस्त 2019 को मुख्य महाप्रबन्धक को सौंपी थी वह मनगढ़त और वास्तविक तथ्यों को छुपाते हुए दोषी व्यक्तियों से बड़ी साज कर प्रेषित की गई थी। उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि सुबोध कुमार जांच सौंपने पर जांच बदलवाने के लिए मुख्य महाप्रबंधक को पत्र लिखा गय

अटल बिहारी वाजपेयी के आदर्शों को आत्मसात करे केन्द्र सरकार

25 दिसम्बर पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न प.ं अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन है और किसी भी महापुरुष का जन्मदिन उसके आदर्शों से प्रेरणा लेने के लिए मनाया जाता है। आज केन्द्र में उसी दल की सरकार है जो दल कभी अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से जाना जाता था। पं. अटल बिहारी वाजपेयी कोई सामान्य नागरिक अथवा राजनेता न होकर विलक्षण प्रतिभा के धनी थे इसीलिए देश का कोई भी नेता चाहें किसी भी दल का हो आज भी उनके कार्यकाल की आलोचना नहीं करता है। अटल बिहारी वाजपेयी एक बार उस सरकार का हिस्सा रहे जिसका गठन सभी राजनैतिक दलों ने मिलकर कांग्रेस का तख्ता पलट करने के बाद किया था और तीन बार केन्द्र सरकार का नेतृत्व भी कर चुके हैं। भले ही उनकी सरकार 13 दिन, 13 महीने चल कर गिर गयी हो लेकिन वे स्वयं अपने जमीर से नहीं गिरे और न ही देश के संविधान के विरुद्ध कोई कार्य किया। आज देश में अनावश्यक घटनाक्रम को लेकर बड़ा बवाल मचा हुआ है जिसका कोई औचित्य नहीं है यदि सरकार किसी विकास योजना का शुभारम्भ करती और विपक्ष उसका विरोध करता तो विपक्ष की आलोचना होनी चाहिए थी लेकिन वर्तमान सरकार पहले से आर्थिक रुप से पंगु हो चुकी अर्थव्यव

सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाने के लिए पहल करें संवैधानिक संस्थाएं

समाज और राष्ट्र का कल्याण करना सरकार का कर्तव्य होता है लेकिन जब कोई राजनैतिक दल अपने वोट बैंक रुपी स्वार्थ को पूर्ण करने की नियति से जब कोई नीति लागू करता है तो देश और समाज दोनों का वातावरण बिगड़ता है जो राष्ट्र की क्षति है। लोकतंत्र में सभी जाति एवं धर्म के लोगों के अधिकार समान होते हैं और सरकार का दायित्व होता है कि वह सर्व समाज के हितों का ध्यान रखते हुए निर्णय करे। जब सरकार के किसी निर्णय से धर्म या जाति सम्प्रदाय या वर्ग विशेष के अधिकारों का हनन होता है या उसकी आशंका होती है तो देश का साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ना स्वाभाविक हो जाता है। हमारी वर्तमान केन्द्र सरकार द्वारा अपने पहले एवं दूसरे कार्यकाल में जो भी निर्णय लिए गए उनसे न तो राष्ट्र की उन्नति हुई और न ही समाज के किसी वर्ग का भला बल्कि सरकार गठन से पूर्व वर्तमान सत्तारुढ़ दल ने जो वादे किए थे उसके विपरीत कार्य किया ऐसी कथनी और करनी में अंतर वाली यह पहली भारत सरकार है जिसकी देश के अन्दर और बाहर सर्वत्र आलोचना हो रही है। केन्द्र सरकार द्वारा लाया गया नागरिकता संशोधन विधेयक आज पूरे भारत में चर्चा का विषय बना हुआ है, पूरे देश म

विकास से ध्यान हटाने के लिए विवादास्पद मुद्दे पैदा करती है भाजपा

हरिद्वार। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रदेश संयोजक रामनरेश यादव ने कहा है कि देश की जनता का विकास कार्यों से ध्यान हटाकर विवादास्पद मुद्दों में उलझाना भाजपा की नियति बनी गयी है जिसमें राम मंदिर, कश्मीर के बाद अब असम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल की जनता को आन्दोलन के लिए उतारकर देश का वातावरण बिगाड़ दिया है। केन्द्र की सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार ने अब तक जो नीतियां लागू की उससे देश का विकास रुक गया, अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गयी और बेरोजगारी बढ़ी है। देश की जनता के खून-पसीने से अर्जित धन नेता एवं ब्यूरोक्रेट्स अपनी सुख-सुविधाओं पर खर्च कर रहे हैं और भय का वातावरण बनाकर संविधान के विपरीत तानाशाहीपूर्ण तरीका अपनाकर देश का धन और समय दोनों बर्बाद किए जा रहे हैं। जो धन विकास योजनाओं पर व्यय होना था वह चुनावी प्रचार, जन प्रतिनिधियों की खरीद-फरोख्त एवं मूर्तियां इत्यादि लगाकर बर्बाद किया जा रहा है जिसे समय रहते रोकने की आवश्यकता है अन्यथा देश 70 साल पहले वाली स्थिति में आ जायेगा इसके लिए सत्ता पक्ष विपक्ष और देश की जनता को राष्ट्रहित के लिए कार्य करना होगा। उत्तराखण्ड प्रसपा की ओर से प्रे

भाजपा के सत्ता में आते ही संविधान पर मंडराने लगे संकट के बादल

हैदराबाद पुलिस द्वारा चार बलात्कारियों के किए गए एनकाउन्टर पर पूरे देश से मिली जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। अधिकांश जनता तो पुलिस के कार्य की सराहना कर रही है कि उसने उन बलात्कारी दरिन्दों को उसी स्थान पर ले जाकर मारा जिस स्थान पर चारों ने एक महिला की अस्मत लूटने के बाद उसे जलाकर मार दिया था और पुलिस ने खून का बदला खून से लेकर बता दिया है कि पुलिस चाहे तो कुछ भी कर सकती है, लेकिन इस घटना पर जो उंगलियां उठ रही है। उस विचारधारा पर गौर फरमाना भी संविधान का सम्मान करने के लिहाज से लाजिमी है। पुलिस ने भले ही कानून अपने हाथ में लेकर अदम्य साहस का की मिशाल कायम की है जिन लोगों ने जैसा कृत्य किया उसका वैसा ही परिणाम भुगता इसका समाज में जो संदेश जायेगा उससे गलत काम करने वालों में भय का वातावरण बनेगा और कोई भी दुष्कर्मों ऐसे वीभत्स कृत्यों को अंजाम देने से पहले उसके परिणाम पर भी गौर फरमायेगा। तत्कालिक रुप से देखने में यह सब बहुत अच्छा लगा रहा है लेकिन, प्रत्येक इन्काउन्टर की न्यायिक जांच होती है और वह जांच भी न्याय से जुड़े किसी व्यक्ति  को ही सौंपी जाती है सो नियमानुसार इस एनकाउन्टर की भी न्या

कृषि की दुर्दशा से सत्ता और तंत्र दोनों बने अनजान

देश की जनता को वास्तविक मुद्दों से भटकाने के लिए सरकार, राजनेता एवं ब्यूरोक्रेट्स के पास अनेकों मुद्दे होते हैं जिनमें भटकाकर असल मुद्दे से देश की जनता का ध्यान हटाया जा सकता है। भारत की लगभग 70 प्रतिशत जनता आज भी कृषि से जुड़ी है जो गांवों में निवास कर कड़ी मेहनत से अनाज का उत्पादन कर देश को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाने में सफल रही। भारत में केवल कृषक ही ऐसा स्तम्भ है जो देश की रक्षा, सुरक्षा से लेकर भरण-पोषण में भरपूर योगदान दे रहा है आज उसकी सुनने वाला कोई नहीं है। हमारी सरकारों ने गन्ना उत्पादन को किसान की मुख्य उपज का हिस्सा बना दिया है जबकि गन्ना मिलों में गन्ने से चीनी एवं अल्कोहल का निर्माण होता है जिससे शराब बनती है जो सरकार को सर्वाधिक राजस्व प्रदान करती है भले ही शराब और चीनी दोनों मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारिक हों लेकिन सरकार को चाहिए राजस्व एवं नेताओं को चुनाव के समय चाहिए शुगर मिलों से चन्दा। शुगर मिलें किसान से गन्ना लेकर एक-एक साल बाद भुगतान करती हैं कुछ भुगतान आंशिक भी होता है जिससे किसान का भरोसा मिलों पर बना रहता है जबकि गन्ने की उधार खरीद से मिलों को भारी मुना