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Showing posts from July, 2019

कांवड़ मेले की स्थायी व्यवस्था बनाने में नाकामयाब रहा शासन और प्रशासन

धर्म एवं संस्कृति से समाज का संवर्द्धन होता है और धार्मिक पर्व ही व्यक्ति को संस्कारित जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। संस्कारित जीवन व्यक्ति को सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करता है तथा सनातन धर्म पर्वों का सबसे बड़ा गुलदस्ता है जो वर्ष पर्यन्त व्यक्ति को सत्कर्म की प्रेरणा देता रहता है यही कारण है सनातन धर्म के अनुयायी सम्पूर्ण सृष्टि में सुखी एवं शान्त स्वभाव के होते हैं। हरिद्वार में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला श्रावण मास का कांवड़ मेला समाज में समरसता, सम्भाव एवं आर्थिक समानता लाने का सबसे बड़ा पर्व है जो समाज के सभी वर्गों में श्रद्धा, उत्साह एवं स्वरोजगार के साधन सृजित कर निराश व्यक्ति में भी आशा की किरणों का संचार कर देता है। समाज यदि सनातन धर्म के पर्वों की प्रधानता को स्वीकार कर ले तो किसी भी उद्योग या सरकार से रोजगार के लिए याचना ही नहीं करनी पड़ेगी। उत्तराखण्ड राज्य धर्म, संस्कृति एवं प्राकृतिक संसाधनों के लिए विश्व का सबसे धनी राज्य है, यहां की राज्य सरकार यदि धर्म, पर्यटन, आयुष एवं ऊर्जा के क्षेत्र में कार्य प्रारम्भ कर दे तो यह राज्य धरती का स्वर्ग और विश्व का सर्वाधिक सम्प

धर्म समाज एवं राष्ट्र निर्माण में ओबीसी, एससी का सबसे बड़ा योगदान

हरिद्वार से श्रावण मास में चलने वाली कांवड़ यात्रा समाज में व्याप्त आर्थिक विषमता को समाप्त करने वाला सबसे बड़ा अनुष्ठान है जिसमें यूपी, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब तथा मध्य प्रदेश से आने वाले लगभग दो करोड़ कांवड़ यात्री हरिद्वार सहित सम्पूर्ण यात्रा मार्ग में लगभग तीस अरब रुपये का पंूजी निवेश करते हैं और ये समस्त कांवड़ यात्री भारत के आरक्षित वर्ग के होते हैं। हरिद्वार में दस हजार से अधिक कांवड़ यात्रियों पर किए गए सर्वे में यह तथ्य सामने आये हैं कि कांवड़ यात्रा में 98 प्रतिशत यात्री अन्य पिछड़ा एवं अनुसूूचित जाति के हैं। प्रस्तुत आंकड़ों से स्पष्ट हो जाता है कि तप, त्याग, सामाजिक एकता तथा आर्थिक समरसता बनाने में इस वर्ग का सबसे बड़ा योगदान है। योगदान उस समुदाय का भी कम नहीं है जिसने देश के सबसे बड़े वर्ग को धर्म और समाज की सेवा करने के लिए तन, मन और धन लगाकर समर्पित होने की प्रेरणा दी। हरिद्वार से कांवड़ लेकर अपने-अपने शिवालयों तक पहुंचने में प्रत्येक कांवड़ यात्री पांच सौ से पांच हजार रुपये व्यय करता है कुछ सजावटी कांवड़ों पर यह व्यय लगभग दस हजार रुपये प्रति व्यक्ति भी हो जाता है लेकिन

यथा राजा तथा प्रजाः जिसकी लाठी उसकी भैंस

समाजवादी विचारक रामनरेश यादव ने कहा है कि जिस देश-प्रदेश का शासक नियम और कानून को तिलांजलि देकर स्वेच्छाचारिता से सरकार चलाता तथा संविधान का सम्मान न कर केवल सत्ता में बना रहना ही उसका उद्देश्य होता है उस देश की जनता और ब्यूरोक्रेसी भी मनमानी पर उतर आती है। स्वतन्त्राता प्राप्ति के बाद एक बार 1975 में सरकार ने मनमानी कर आपातकाल लगाया जिसके दुष्परिणाम देश को भुगतने पड़े और दूसरी बार 2014 में नई सरकार बनने के बाद 2016 से सरकार की तानाशाही प्रारम्भ हुई जो रुकने का नाम नहीं ले रही है। यूपी हो या बिहार जहां भी एक दल विशेष की सरकारंे हैं कानून और व्यवस्था की धज्जियाँ उड़ रही हैं जिससे देश ही नहीं विदेशों में भी भारत की बिगडती कानून व्यवस्था पर चिन्ता व्यक्त की जा रही है। 25 जून, 1975 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार की मुखिया इन्दिरा गांधी ने जिस आपातकाल की घोषणा थी उससे पूरे देश मंे सरकार के प्रति जो भय का वातावरण बना था उसे देश की पुरानी पीढ़ी जिसने वो मंजर देखे थे अभी भूल भी नहीं पायी थी कि 2016 में देश की जनता को बड़े आर्थिक आपातकाल से जूझना पड़ा। बैंक और एटीएम की लाइनों मंे लगकर सैंकड़ों लोगों

यह कैसी सरकार और यह कैसी आजादी? अगले महीने मनायेंगे स्वतंत्रता की 72वीं वर्षगांठ

भारतवर्ष को आजाद हुए सात दशक पूर्ण हो चुके हैं, आजादी के छः दशक तक चले सरकारी कामकाज को जनता ने बर्दाश्त भी किया, सराहा भी और आलोचना भी की। जनता की आवाज सरकार तक पहुंची भी और सरकार ने सुनकर उस पर गौर भी किया कुल मिलाकर 2014 से पूर्व बनी सभी सरकारों पर जनता का यथावत विश्वास रहा और सरकारों ने भी लोकतांत्रिक ढं़ग से शासन व्यवस्था का संचालन करते हुए जन समस्याओं का समाधान भी किया और विपक्ष तथा जनता की आवाज भी सुनीं। इससे पूर्व भी कई बार ऐसी स्थिति आयी कि विपक्ष नाम की चीज समाप्त हो गयी थी लेकिन सरकार ने संवैधानिक व्यवस्था के अनुरुप कार्य किया। ईवीएम को यदि नकार दें तब भी यह जनता का अधिकार है कि वह कितनी सशक्त सरकार बनाये और सरकार का धर्म होता है कि वह जन भावनाओं का सम्मान करे। सन् 1984 में हुई इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस को इतनी बड़ी सहानुभूति मिली थी कि विपक्ष का सफाया हो गया था लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने देश, संविधान, जनता और विपक्ष का पूरा सम्मान किया था। 2014 में आयी कथित मोदी लहर जो मात्र प्रचारित की गई थी वास्तव में थी नहीं, सब खेल पूंजीपतियों का था और उन्

उत्तराखण्ड को स्वरोजगार से जोड़कर विकास की मुख्यधारा में लायेगी प्रसपा (लोहिया)

हरिद्वार। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रदेश संयोजक रामनरेश यादव ने कहा है कि प्रसपा उत्तराखण्ड राज्य निर्माण का सपना साकार करने के लिए सड़क से सदन तक संघर्ष का बिगुल फूंकेगी इसके लिए 10 जुलाई से सदस्यता अभियान का शुभारम्भ कर 2022 में राज्य की सत्ता में भागीदारी कर इस हिमालयी राज्य को उसका खोया गौरव प्रदान करेगी। प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव से विशेष भेंटवार्ता कर लौटे रामनरेश यादव ने बताया कि प्रसपा हाईकमान उत्तराखण्ड में अब तक सत्ता पर काबिज रही सरकारों की कार्यशैली से असंतुष्ट होकर अब पर्वतीय विकास का नया खाका तैयार कर रही है जिसको 2022 से पूर्व ही धरातल पर उतारकर सुदूरवर्ती पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन कर चुकी जनता को कृषि, बागवानी, जड़ी-बूटी उत्पादन के साथ ही स्वरोजगार से जोड़कर पुनः पहाड़ पर रौनक स्थापित करेगी। राज्य के मैदानी क्षेत्रों में किए गए औद्योगीकरण के कारण हुए पहाड़ों से पालयन पिछलीे सरकरों की अदूरदर्शिता का परिणाम बताते हुए उन्होंने कहा कि पहाड़ पर छोटे-छोटे कुटीर उद्योग तथा स्वरोजगार के संसाधन स्थापित करने की आवश्यकता थी लेकिन कांग्रेस सरकार न

बढ़ते वाहनों ने बिगाड़ी हरिद्वार की यातायात व्यवस्था

बढ़ती वाहनों की संख्या आज यातायात की बड़ी समस्या बनती जा रही है, एक जमाना था जब एक-एक परिवार में चार-पांच से लेकर दस-दस बच्चे पैदा होते थे आज भारत के 70 प्रतिशत परिवार दो या तीन बच्चों तक सिमट गए हैं। उस समय न सड़कें थीं न ही वाहन आज जितनी सड़कें बनी उससे अधिक वाहन सड़क पर आ गए। इंसान की आबादी कम हो रही वाहनों की संख्या बढ़ रही है। पहले शहरों के मोहल्लों में एक दो के पास ही वाहन होते थे आज प्रत्येक परिवार में जितने सदस्य हैं उतने ही वाहन हैं और चार पहिया वाहनों का यह हाल है कि जिसके घर में वाहन खड़ा करने का स्थान नहीं वह भी वाहन खरीद रहा है और पार्किंग स्थल सड़कें बन गयी है। डीजल और पेट्रोल की खपत ही बता रही है कि जनता की कमाई का सर्वाधिक धन कहां खर्च हो रहा है? उत्तराखण्ड प्रदेश और मुख्य रुप से हरिद्वार में वर्ष पर्यन्त यात्रियों की भरमार रहती है यहां प्रतिवर्ष कांवड़ मेला एक-दो सोमवती अमावस्या के अतिरिक्त भी गंगा दशहरा और कार्तिक पूर्णिमा जैसे लक्खी मेलों का आयोजन होता रहता है यही कारण है कि हरिद्वार में अक्सर जाम की स्थिति रहती है जो आने वाले यात्रियों तथा स्थानीय जनता को भारी परेशानियों

उत्तराखण्ड में नए सिरे से विकास की बुनियाद रखेगी प्रसपा

शिवपाल सिंह यादव ने यूपी में सिंचाई मंत्री रहते उत्तराखण्ड में किया पांच सौ करोड़ का निवेश हरिद्वार। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रदेश संयोजक रामनरेश यादव ने कहा है कि यूपी-उत्तराखण्ड एक-दूसरे के अभिन्न अंग हैं और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने यूपी में सिंचाई मंत्री के रुप में उत्तराखण्ड के लिए जो कार्य किये उनको अब और विस्तार देते हुए हरिद्वार के समान ही सम्पूर्ण प्रदेश को विकसित किया जायेगा। हरिद्वार के धार्मिक महत्व एवं सुन्दरता में चार चांद लगाने में सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण योगदान बताते हुए उन्होंने कहा कि विश्व प्रसिद्ध हरकी पैड़ी का विस्तार एवं सौन्दर्यीकरण का काम उत्तर प्रदेश का सिंचाई विभाग ही करता है और प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने यूपी के सिंचाई मंत्री के रुप में 2012 से 2017 के बीच में जो कार्य किये उनसे हरिद्वार की सुन्दरता एवं सुरक्षा में चार चांद लगे हैं। शिवपाल सिंह यादवके कार्यकाल में ही कई वर्षों से क्षतिग्रस्त बड़े लालकोठी के निकट बंधे की ऐतिहासिक मरम्मत हुई जिसने 2013 की बाढ़ से हरकी पैड़ी

2019 का कांवड़ मेला होगा हरिद्वार प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती

हरिद्वार में प्रतिवर्ष श्रावण मास का कांवड़ मेला आता है जो जिला प्रशासन के लिए सकुशल सम्पन्न कराना एक बड़ी चुनौती होती है लेकिन इस मेले की परम्परा है कि मेला भले ही भगवान भरोसे हो, भोले के भक्त कष्ट सहकर भी संतुष्ट नजर आते हैं, उनका उद्देश्य यहां सुविधाएं प्राप्त करना नहीं बल्कि कष्ट सहकर भी गंगा जल लेकर अपने गन्तव्य तक पहुंचना होता है। कांवड़ मेले का केन्द्र बिन्दु हरकी पैड़ी होता है और अधिकांश कांवड़ यात्रियों का दवाब रोड़ी बेलवाला यानी कि हरकी पैड़ी से चण्डीघाट तक रहता है जहां नजीबाबाद तथा रुड़की की तरफ जाने वाले यात्रियों का बंटवारा होता है। इस वर्ष इस क्षेत्र में हाईवे का निर्माण कार्य चल रहा है और सबसे विकराल स्थिति होगी चन्द्राचार्य चौक पर जो भीड़ के दवाब का सबसे बड़ा केन्द्र है लेकिन यहां पुल का निर्माण कार्य चल रहा है और कच्ची मिट्टी का खुदान कार्य जारी होने के कारण कीचड़ की समस्या भी विकराल रहेगी। हरिद्वार में लगने वाले जाम और यातायात की अव्यवस्था के लिए हरिद्वार में तैनात रहे पूर्व अधिकारी जिनमें तत्कालीन जिला अधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दोनों दोषी रहे जिन्होंने गंगनहर की दा